मैंने यह नौकरी इसलिए नहीं की थी ताकि मैं कोई सरकारी नौकरी लेकर आराम से जिंदगी गुजार सकू मैंने यह नौकरी इसलिए नहीं की थी ताकि मैं कोई सरकारी नौकरी लेकर आराम से जिंदगी गु...
कलमकार लिखता गया अब उसने कविता लिखने की सोची ! कलमकार लिखता गया अब उसने कविता लिखने की सोची !
जाओ मेरे बच्चों, भरो अपनी उड़ान, कर लो मंज़िल को फतह। जाओ मेरे बच्चों, भरो अपनी उड़ान, कर लो मंज़िल को फतह।
सोचा अब जाकर पंतगों की तरह मेरी जिन्दगी ने भी उड़ान भरनी शुरू कर दी। सोचा अब जाकर पंतगों की तरह मेरी जिन्दगी ने भी उड़ान भरनी शुरू कर दी।
अपनी कमाई से पूरा खर्च चलाती है और उन के भी सपनों को साकार कर रही है। अपनी कमाई से पूरा खर्च चलाती है और उन के भी सपनों को साकार कर रही है।
उड़ने के उसके पंख नहीं फिर भी ऊंची उड़ान बड़ी। उड़ने के उसके पंख नहीं फिर भी ऊंची उड़ान बड़ी।